Three Important Points for Parents [PART-1]
१ – स्कूली कक्षा से ज्यादा जरुरी है जीवन की कक्षा
इस युग के अभिभावकों को ये समझना बहुत जरुरी है की बच्चो के लिए स्कूली कक्षा से कही ज्यादा जरुरी है जीवन रूपी कक्षा में उपस्थित होना । रोजगार के लिए जितनी शिक्षा की जरुरत है, उतना हर बच्चा अपने सामर्थ्य के अनुसार प्राप्त करता ही है पर जब जीवन रूपी इम्तिहान सामने आते है तो ये बच्चे फेल हो जाते है । इसका कारण यही है कि हमारे बच्चो कि परवरिश में जीवन के मूल्यों को नैतिक शिक्षा की किताबो तक सीमित कर दिया गया है । ऐसे कितने पेरेंट्स है, जो आत्महत्या जैसे विषयो पर बच्चो के मन की टोह लेने का प्रयास करते है और उनके विचारो को जानने, समझने और सही रह दिखाने की कोशिश करते है ? यह अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे बच्चो से खुले और उन्हें समझाए ।
२ – लोककथाओं, कहानियों व कविताओं की ओर लौटे
बचपन में जब हमें नींद नहीं आती थी तो हमारी दादी और नानी कहानियाँ सुनाती थी पर अब जब हमें नींद नहीं आती तो हम मनोचिकित्सक के पास आते है और नींद की गोलियों का सहारा लेते है । क्या हमारा समाज इतनी नकारात्मकता से भर चुका है कि हम अपने मन – मस्तिष्क पर पड़े मेल को साफ न कर सके और इसके लिए हमें नींद कि गोलियों, माइग्रेन, डिप्रेशन और आत्महत्या जैसे दानवो का गुलाम होना पड़े ? अभिभावकों को इन जटिलताओं से पार होने के लिए अपने बच्चो को एक बार फिर लोककथाओं, कहानियों, कविताओं और सृजनात्मकता की तरफ मोड़ना होगा यह सृजनात्मकता ही हमें संस्कारवान बनाती है । ऐसे संस्कार, जिसमें हम जीवन के प्रति उदारता और कोमलता का भाव रखते है ।
३ – बच्चो को प्रेम दे, अपने विचार नहीं
मशहूर लेबनानी कवि और लेखक, खलिल जिब्रान अपनी प्रख्यात किताब ‘द प्रॉफिट’ में सन्तानो की बाबत कहते है, तुम्हारी संताने तुम्हारी नहीं है। वे इस जीवन की संताने है । वे तुम्हारे द्वारा आती है पर तुमसे नहीं आती । हालांकि वे तुम्हारे साथ है लेकिन वे तुम्हारी संपत्ति नहीं है । तुम उन्हें अपना प्रेम दे सकते हो पर विचार नहीं । तुम उनके शरीर की सुरक्षा कर सकते हो किन्तु उनकी आत्मा के लिए घर नहीं बना सकते क्योंकि उनकी आत्माओ का घर उनका भविष्य है, जहा तुम अपने स्वप्न में भी नहीं पहुंच सकते । तुम उनके जैसा दिखना चाह सकते हो पर उन्हें अपने जैसा देख पाने का प्रयास नहीं कर सकते । क्योंकि जीवन पीछे की ओर नहीं चलता । तुम वो धनुष हो ,जिस पर तुम्हारी संताने बाण की तरह टिकी है ।